शिव हो जायेंगे शव
गर तोड़ दिया मौन
गले में रखना है गरल
निगलना-उगलना है निषेध....
गर तोड़ दिया मौन
गले में रखना है गरल
निगलना-उगलना है निषेध....
यूँ जीवन है अनमोल
अकिंचन हैं इसकी तहें
पीपल पात-सा मन
डोलता है लगातार...
अकिंचन हैं इसकी तहें
पीपल पात-सा मन
डोलता है लगातार...
जैसे पर-पीर समझना है दुश्वार
मन-कंदरा भी है अबूझ
ढुलता है श्वेद और रक्त
हिरसता है अंतरतम....
मन-कंदरा भी है अबूझ
ढुलता है श्वेद और रक्त
हिरसता है अंतरतम....
घनी छाँव है आकाश-कुसुम
दो हाथ का फासला
तय नहीं होता ताज़िन्दगी
आँख के पथराने तक...
दो हाथ का फासला
तय नहीं होता ताज़िन्दगी
आँख के पथराने तक...
3 comments:
गहरा भाव निहित है इन पंक्तियों में ...
बधाई इस रचना की ...
I have read so many articles or reviews regarding the blogger lovers except
this post is actually a fastidious article, keep it up.
my site ...Belinda Broido
Yes! Finally someone writes about new york mets.
Here is my webpage Belinda Broido
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