जैसे उड़ि जहाज कौ पंछी पुनि जहाज पै आवै... मार्का विचारों को लिए दिये ब्लॉग पर लौटा हूं. इस बीत बहुतेरे पानी बह गया है. हालांकि - जल में कमल, कमल में जल है - मार्का जुमले भी याद आ रहे हैं. तो भी मन की बात जारी रहे, कोशिश करूंगा.
Wednesday, July 27, 2011
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2 comments:
स्वागत.निरंतर यहाँ सक्रिय रहें यही कामना है.
स्वागत है ... उड़ान जितनी भी ऊंची हो वापस लौटना सुखद होता है ..
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