tag:blogger.com,1999:blog-3760252429097979220.post7075767636923846760..comments2023-03-24T06:55:00.652-07:00Comments on मन की बात: प्रिया! घर आने वाली हैं...Atmaram Sharmahttp://www.blogger.com/profile/11944064525865661094noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-3760252429097979220.post-33314045239714591792009-06-02T11:09:19.810-07:002009-06-02T11:09:19.810-07:00आत्माराम जी ,
विदा करो ठलुओं को घर से
बरतन-भांडे ...आत्माराम जी ,<br /><br />विदा करो ठलुओं को घर से<br />बरतन-भांडे माँजो फिर से<br />करो सफाई घर की ऐसी<br />फैल जाए चमकार<br />प्रिया! घर आने वाली हैं<br /><br />क्या ये सच है ?स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3760252429097979220.post-74537151804897925252009-01-18T03:23:00.000-08:002009-01-18T03:23:00.000-08:00वाह जी बहुत सुंदर रचना है आपकी आत्माराम जी आत्मा...वाह जी बहुत सुंदर रचना है आपकी आत्माराम जी <BR/><BR/>आत्माराम जी मुझे पता चला है कि आप कोई मैग्जीन निकालते हो तो कभी उसके बारे में मुझे भी बता दो क्या रूल्स हैं और मैग्जीन लेने का क्या प्रोसिजर है <BR/><BR/>my email id is mohanvashisth0449@gmail.comमोहन वशिष्ठ https://www.blogger.com/profile/00939783274989234267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3760252429097979220.post-6674620417166720652009-01-03T22:59:00.000-08:002009-01-03T22:59:00.000-08:00विदा करो ठलुओं को घर सेबरतन-भांडे माँजो फिर सेकरो ...विदा करो ठलुओं को घर से<BR/>बरतन-भांडे माँजो फिर से<BR/>करो सफाई घर की ऐसी<BR/>फैल जाए चमकार<BR/>प्रिया! घर आने वाली हैं...<BR/><BR/>kya baat hai.ye khoob sachaai byaan ki hai hazoor...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3760252429097979220.post-64842420327211056612008-11-24T09:58:00.000-08:002008-11-24T09:58:00.000-08:00भाई बहुत ही सुंदर रचना, सब को अपनी जोरू थाने दारनी...भाई बहुत ही सुंदर रचना, सब को अपनी जोरू थाने दारनी ही क्यो लगती है? असल मे तो होती बहुत ही सीधी साधी है....:)राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3760252429097979220.post-10855945976388321602008-11-24T09:30:00.000-08:002008-11-24T09:30:00.000-08:00बहुत सुंदर रचना....सब की प्रिया एक सी नेचर की ही क...बहुत सुंदर रचना....सब की प्रिया एक सी नेचर की ही क्यूँ होती है...??? हा हा हा हा <BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com