Monday, November 24, 2008

प्रिया! घर आने वाली हैं...

मन से उठी पुकार
प्रिया! घर आने वाली हैं...
घर की थानेदार
प्रिया! घर आने वाली हैं...

कागद-पत्तर करो व्यवस्थित
तकिया चारपाई और बिस्तर
तेल का पीपा धरो यथावत
होओ होशियार
प्रिया! घर आने वाली हैं...

विदा करो ठलुओं को घर से
बरतन-भांडे माँजो फिर से
करो सफाई घर की ऐसी
फैल जाए चमकार
प्रिया! घर आने वाली हैं...

हाथ चूम लेंगी वे आकर
लाड़ जताएँगी मुस्काकर
मन के झाँझ-मजीरे बोलें
खनकेगी खरतार
प्रिया! घर आने वाली हैं...

कानी कौंड़ी साथ न जाना
माया खातिर मन ललचाना
मौत सौतियाडाह करेगी
कर देगी बंटाढार
प्रिया! घर आने वाली हैं...

Wednesday, November 12, 2008

प्रिया! घर आयेंगी...

किये साज-श्रृंगार
प्रिया! घर आयेंगी
मन के खोले द्वार
प्रिया! घर आयेंगी

हृदय-तंतु झनझना उठेंगे
शहनाई की तान सुनेंगे
रोम-रोम पुलकित होगा
खनकेगा तन का तार
प्रिया! घर आयेंगी...

मन मयूर नाचेगा उस क्षण
देहरी लाँघ आओगी जिस क्षण
भर आयेगा कंठ
पुलक जाओगी बारम्बार
प्रिया! घर आयेंगी...

नई-नकोर पायलिया पहने
रुनक-झुनक चलने में खनके
तुम्हें देखकर नयी पड़ोसन
फेंकेगी चुमकार
प्रिया! घर आयेंगी...

सखी-सहेली की कनबतियाँ
याद आयेंगी मन की बतियाँ
उभर आयेगी -
अम्मा-बाबा की फिर-फिर पुचकार
प्रिया! घर आयेंगी...

देस पराये सबको जाना
आपस्वार्थी मन बौराना
मेरा-मेरा चीखे हरदम
कर न पाए उपकार
प्रिया! घर आयेंगी...

Thursday, November 6, 2008

प्रिया तुम पास नहीं हो

फूल आई कचनार
प्रिया तुम पास नहीं हो
रातें हुईं पहार
प्रिय तुम पास नहीं हो

सूख गई मन की चिकनाई
गुजरी रात भोर हो आई
बिसर गई मनुहार
प्रिया तुम पास नहीं हो
लगते घर के कमरे खाली
ज्यों शरबत की चटकी प्याली
सूना सब संसार
प्रिया तुम पास नहीं हो

मेरा हाल हुआ है ऐसे
बिना नमक की दाल हो जैसे
घर में नहीं अचार
प्रिया तुम पास नहीं हो
मुँह उठाए फिरता हूँ ऐसे
बिना धनी की भैंस हो जैसे
पूंछ उठाए - खूंटा तोड़े भरती है हुंकार
प्रिया तुम पास नहीं हो

खा-पीकर फिर मौज मनाई
निंदा-रस की चाट उड़ाई
अपनी खातिर माथा कूटा
पर-स्वारथ को मैल न छूटा
ज़िंदगानी दिन-रात खरचकर
महिने की हुई पगार
प्रिया तुम पास नहीं हो